नशो

नशो शराब भँग जो – लजा॒ए थो लोकु ,

नशो चढ़े न लक्षमीअ जो – विञाए लोक परलोकु ।

नशो सचे साईंअ जो – आहे अजीबो गरीबु ,

समुझी इसरारु उनजो – महुँचे थो सुर्गु॒ लोकु ।

कुछे-पुछे कुछु कीनकी – मन में रहे मस्तु ,

समुझी इसरारु उनजो – पातो मनु प्रीतमु ।

नशो चढ़ियो आ नाम जो – जयराम विसारे पाण

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About the Author: Jairam